ये नायक नहीं हो सकते
कल शाम से ही लगातार यह चर्चा है कि रसूख खान का बेटा कुछ आपत्तिजनक गतिविधियों में संलिप्त पाया गया या सीधे तौर पर कहूँ तो प्रतिबंधित नशीले पदार्थ का सेवन करते हुए पाया गया. पूरा हो हल्ला मचा है, कुछ लोगों का कहना है कि इस्लामिक विचारधारा रखने के कारण उसे फंसाया जा रहा है. जबकि वह इतने महान कलाकार के परिवार से है तो उसे यह सब करने की क्या जरुरत है.
दरसल हम भारतीय बड़े भोले हैं, कई तो इन्हें भगवान तक मान लेते हैं. मुझे याद है जब हम छोटे होते थे तो हमारे गाँव में और आस-पास के गाँवों में नौटंकी का आयोजन होता था. जिसमें ज्यादातर कलाकार (अभिनेता) नशीले पदार्थों का सेवन करते थे. कई तो प्रतिबंधित नशे का भी प्रयोग करते थे. कहते हैं इससे उनका मंच-भय (स्टेज फियर) हट जाता है और वे दर्शकों का बेहतर मनोरंजन कर पाते थे.
अब आज नौटंकी के यही पात्र जिसे परदे की दुनिया में हीरो-हिरोईन कहा जाने लगा हैं और वे अपने आप को ऐसा ही समझने लगे हैं. उनके एक अपील मात्र से हम और हमारे बच्चे वही करने लगते हैं जैसा वे कहते हैं. उनके कहे को करने के लिए हम अंधे हो जाते हैं. उनको आत्मसाध कर लेते हैं. उनके जैसे कपडे पहनना, उनके जैसे रहन-सहन और न जाने क्या-क्या.
अब यदि हम इनको जो अंग्रेजी में बोलते है उसे हिंदी में कहें तो आपको समझ आएगा की वास्तव में कौन किस तरह का किरदार है. कुछ एक को मैं यहाँ हिंदी में बताना चाहूँगा, आप हिंदी में समझें जैसे कि हीरो (नायक, मुख्या अभिनेता), विलेन (खलनायक), कॉमेडियन (भांड/मसखरा/विदूषक), डांसर (नचनिया) आदि.
आज हमे स्वयं को और अपने समज को यह समझने और समझाने की जरुरत है कि ये परदे के लोग मनोरंजन के लिए हैं और इसके लिए हम उन्हें विभिन्न माध्यमों से भुगतान करते हैं. ये हमारे आदर्श नहीं हैं और न ही कभी हो सकते हैं.
अपनी संस्कृति को समझने के लिए अपने बड़े बुजुर्गों के साथ कुछ समय बैठें और जाने की वास्तविक भारतीय संस्कृति क्या है. अमेजान, हॉटस्टार और अन्य ओटीटी का सब्सक्रिप्शन लेने से पहले घर पर रामचरित मानस, रामायण, गीता आदि पढ़ें, अच्छा लगेगा, बहुत अच्छा लगेगा.